नदी की धारा को मोड़कर रेत का खनन, जलीय पर्यावरण की हो रही हानि

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सोनभद्र। जिले के रेणुका नदी में नदी की धारा को मोड़कर उसे पर अवैध पुल का निर्माण किया गया है। पानी की निकासी के लिए ह्यूम पाइप का इस्तेमाल किया गया है। देखा जाए तो पूरे नदी को खनन कर्ताओं द्वारा तालाब में तब्दील कर दिया गया है। देखा जाय तो एनजीटी के नियमों को ताख पर रखकर नदी में मशीनों को पानी में लगाकर उससे बालू निकाली जा रही है। मामला जिले के खनन क्षेत्र खेवंधा बालू साइट के खंड ब के पास का है। बताया जा रहा है कि ओबरा क्षेत्र में खेवधा के पास स्थित खंड ब पर बालू साइट के संचालन का पट्टा मेसर्स एसके बायो इक्ट्राक्ट एंड एप्लीकेशंस प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा गया है। हैदराबाद से जुड़ी इस कंपनी को यहां छह हेक्टेअर एरिया में बालू खनन के लिए पट्टा आवंटन का दावा किया जा रहा है। वायरल वीडियो के आधार पर दावा किया जा रहा है कि इस पट्टे की आड़ में यहां जलीय पर्यावरण की अनदेखी की जा रही है और नदी के बीच से बालू निकासी के लिए नदी की धारा को प्रभावित कर अस्थाई रास्ता तो बनाया ही गया है, नदी के बीच में बालू खुदाई के लिए पोकलेन भी उतार दी गई हैं। जो सरकार के निर्देशों का खुलेआम कंपनी द्वारा उलंघन किया जा रहा है।

 सूत्रों की माने तो रेणुका नदी की धारा रोककर बालू खनन के मामले ने एक बार फिर से तूल पकड़ लिया है। एक साथ कई वीडियो वायरल होने के बाद जिले से लेकर राजधानी तक हड़कंप की स्थिति बन गई है। सूत्र यह भी बताते है कि हैदराबाद से जुड़ाव रखने वाले इस खनन को लेकर विभाग की तरफ से कार्रवाई शुरू किए जाने का दावा किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि मौके की जांच कर गड़बड़ियों को सूचीबद्ध कर लिया गया है। उल्लेखनीय है कि रेणुका नदी जहां सोन नदी की प्रमुख सहायक नदी है। वहीं, प्रदूषण के लिहाज से ओबरा के आस-पास की इस नदी से जुड़़ी एरिया बेहद संवेदनशील है। ऐसे में खेवंधा में बालू खनन के लिए रोकी जा रही कथित धारा ने जहां, जलीय पर्यावरण को लेकर ढेरों सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीं, शासन की तरफ से लगातार दिए जा रहे सख्ती के निर्देश और जिला प्रशासन की तरफ दी जाती हिदायतों के क्रियान्वयन से जुड़े जिम्मेदारों की भूमिका पर भी सवाल उठने लगा है। जिला प्रशासन व सरकार के निर्देश की अवहेलना करते हुए खनन कर्ताओं द्वारा खनन किया जा रहा है। 

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