ऐसे मनाए मकर संक्रांति का पर्व, हो जाएंगे मालामाल — पं० प्रशान्त मिश्र ( वैदिक )

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भारतीय संस्कृति में पर्व और त्योहार केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये प्रकृति, खगोलशास्त्र, सामाजिक चेतना, और आध्यात्मिक उन्नति का भी प्रतीक हैं। मकर संक्रान्ति ऐसा ही एक पर्व है, जो भारतीय संस्कृति की वैज्ञानिक दृष्टि, सामाजिक समरसता, और सांस्कृतिक समृद्धि का द्योतक है।

खगोलीय एवं वैज्ञानिक आधार

मकर संक्रान्ति सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का पर्व है, जिसे खगोलीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह दिन सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायन की ओर गमन का प्रतीक है। भारतीय वैदिक परम्परा में उत्तरायण को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को रात्रि कहा गया है। यह घटना न केवल ऋतुचक्र में परिवर्तन का संकेत देती है, बल्कि यह जीवन में प्रकाश, ऊर्जा और सकारात्मकता का संदेश भी देती है।

सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व

मकर संक्रान्ति समाज में एकता और भाईचारे का पर्व है। तिल-गुड़ बांटने की परंपरा “मिठास घोलने” और प्रेम बनाए रखने का प्रतीक है। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है, जिसमें समाज के वंचित और जरूरतमंद वर्ग की सहायता का आदर्श निहित है। विभिन्न प्रांतों में इसे भिन्न नामों और रूपों में मनाया जाता है:
• तमिलनाडु में पोंगल
• पंजाब में लोहड़ी
• असम में भोगाली बिहू
• गुजरात में उत्तरायण
• महाराष्ट्र में तिल-गुड़ पर्व

यह विविधता भारतीय संस्कृति की एकता में अनेकता की भावना को उजागर करती है।

आध्यात्मिक और धार्मिक महत्त्व

मकर संक्रान्ति आत्मशुद्धि, तप, साधना और दान का पर्व है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और सूर्य उपासना का विशेष महत्व है। धार्मिक ग्रंथों में उत्तरायण को पुण्यकाल कहा गया है, जिसमें किया गया दान और धर्मकर्म अनंत फलदायी माना जाता है। भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा इस पर्व से जुड़ी हुई है।

पारिवारिक और सामुदायिक उत्सव

मकर संक्रान्ति का एक और महत्वपूर्ण पक्ष पारिवारिक और सामुदायिक मेलजोल है। पतंगबाजी, सांस्कृतिक आयोजन और सामूहिक भोज के माध्यम से लोग इस दिन को उल्लास और आनंद के साथ मनाते हैं। यह पर्व पारिवारिक संबंधों को सुदृढ़ करने और सामुदायिक जीवन को समृद्ध बनाने का अवसर प्रदान करता है।

प्रकृति के साथ समन्वय

यह पर्व कृषि और ऋतु परिवर्तन के साथ गहराई से जुड़ा है। सर्दियों की समाप्ति और नई फसलों की बुआई का यह समय प्रकृति के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर है। किसान इस पर्व को नई ऊर्जा और उत्साह के साथ मनाते हैं।


भारतीय संस्कृति के वैज्ञानिक, आध्यात्मिक और सामाजिक मूल्यों का प्रतीक


मकर संक्रान्ति केवल एक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का एक ऐसा आयाम है जो जीवन के प्रत्येक पक्ष—प्रकृति, खगोलशास्त्र, समाज, धर्म, और आध्यात्मिकता—को अपने में समाहित करता है। यह पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में सामंजस्य, प्रेम, और संतुलन कैसे बनाए रखें।
इस प्रकार, मकर संक्रान्ति भारतीय संस्कृति के वैज्ञानिक, आध्यात्मिक और सामाजिक मूल्यों का प्रतीक है, जो जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार करता है।

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