डाला/सोनभद्र( गिरीश तिवारी)-वनवासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, डाला सोनभद्र में वन महोत्सव 2025 के अवसर पर आयोजित “एक वृक्ष मां के नाम” वृक्षारोपण कार्यक्रम न केवल पर्यावरण जागरूकता का प्रतीक बना, बल्कि यह एक ऐसा भावनात्मक आंदोलन बन गया, जिसमें मां के प्रति श्रद्धा और धरती के प्रति समर्पण एक साथ झलकता रहा। महाविद्यालय परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रबंधक अजीत कुमार दुबे, प्राचार्य, समस्त शिक्षकगण एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित एसडीओ वन विभाग श्री अभिषेक राय, वन रेंजर एवं वन दरोगा ने भी स्वयं वृक्षारोपण कर छात्रों को प्रकृति संरक्षण का पाठ पढ़ाया। श्री राय ने कहा कि “धरती और मां दोनों को नमन करने का इससे बेहतर तरीका नहीं हो सकता। यह अभियान नई पीढ़ी को संवेदनशील नागरिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।” उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि यह वृक्ष महज एक पौधा नहीं, बल्कि ममता, सेवा और जीवन की सुरक्षा का प्रतीक है।कार्यक्रम की अगुवाई कर रहे प्रबंधक श्री अजीत कुमार दुबे ने कहा कि “मां से बड़ा कोई नहीं और प्रकृति हमारी सबसे पहली मां है। जब छात्र एक पौधा मां के नाम लगाता है, तो वह भाव, संस्कृति और जिम्मेदारी तीनों को संजोता है।”

प्राचार्य ने कहा कि महाविद्यालय का प्रयास यही है कि शिक्षा सिर्फ किताबी न रहे, बल्कि उसमें सेवा, संवेदना और सामाजिक दायित्व भी शामिल हो।वन रेंजर ने कहा कि छात्रों का उत्साह यह दिखा रहा है कि अब पर्यावरण की बातें भाषणों तक नहीं रहीं, वह जीवन में उतर रही हैं। वन दरोगा ने कहा कि हर छात्र जब एक पौधे की जिम्मेदारी लेता है, तो वह पर्यावरण का प्रहरी बन जाता है।छात्रों की ओर से भी गहरी भावनाएं व्यक्त की गईं। एक छात्रा ने कहा कि “आज मां के नाम एक पौधा लगाकर ऐसा महसूस हुआ जैसे मैंने जीवन में पहली बार मां के लिए कुछ अनमोल किया हो।” एक छात्र ने कहा, “यह पौधा मेरे जीवन का हिस्सा बन गया है, मैं इसे ऐसे पालूंगा जैसे अपनी मां को देखता हूं।”कार्यक्रम के अंत में सभी छात्रों ने संकल्प लिया कि वे रोपे गए पौधों की पूर्ण देखभाल करेंगे और आने वाली पीढ़ियों के लिए हरियाली को जिंदा रखेंगे। पूरे कार्यक्रम में एक सकारात्मक ऊर्जा और मातृत्व से जुड़ी पवित्र भावना प्रवाहित होती रही, जिसने डाला पीजी कॉलेज को पर्यावरणीय चेतना के एक सशक्त केंद्र के रूप में स्थापित कर दिया।यह वृक्षारोपण कार्यक्रम सिर्फ हरियाली नहीं, बल्कि विचारों की वह बीजवपन है, जिससे आने वाले समय में संस्कार, सेवा और संरक्षण का एक घना जंगल उगेगा – जो मां और माटी, दोनों को नमन करता रहेगा।
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