पब्लिक डेस्क
सोनभद्र। ओबरा के बिल्ली–मारकुण्डी खनन क्षेत्र में 15 अक्टूबर 2025 को दोपहर 3:30 से 4:30 बजे के बीच हुए खौफनाक हादसे ने पूरे जनपद को झकझोर कर रख दिया। जिला मजिस्ट्रेट बी.एन. सिंह ने बताया कि मे० कृष्णा माइनिंग वर्क्स की खदान में अचानक पहाड़ का विशाल हिस्सा धरधरा कर टूट पड़ा और कई मजदूरों को अपने नीचे निगल गया। यह घटना सिर्फ धंसान नहीं, बल्कि खनन व्यवस्था के भीतर घुसी लापरवाही और गैर-ज़िम्मेदारी का करारा तमाचा है। सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन, जिला प्रशासन, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें घटनास्थल पर जुटीं और राहत-बचाव अभियान शुरू किया। हादसा उस क्षेत्र में हुआ, जो 10 वर्षीय वैध खनन पट्टे के तहत मधुसूदन सिंह और दिलीप केशरी के संचालन में है। आराजी संख्या 4823, 4821, 4814, 4847, 4848, 4849, 4850, 4851, 4860, 4771, 4772, 4780, 4782, 4784, 4885, 4815M, 4816M, 4817M, 4818M, कुल 8.79 एकड़ में फैला यह क्षेत्र अब जांच के दायरे में है। उपजिलाधिकारी ओबरा ने प्रारंभिक जांच में साफ कहा कि हादसा कई गम्भीर सवाल खड़े करता है। क्या सुरक्षा मानक सिर्फ कागज़ों में थे? क्या खनन गहराई तय सीमा से ज्यादा की जा रही थी? क्या मजदूरों को खतरे की जानकारी थी?
इन सवालों के बीच डीएम ने अपर जिलाधिकारी (न्यायिक) रमेश चन्द्र को मजिस्ट्रियल जांच अधिकारी नामित कर दिया है। उन्हें निर्देशित किया गया है कि वे घटना के कारणों, जिम्मेदारियों, खनन प्रक्रिया में हुई चूक और सुरक्षा मानकों की वास्तविक स्थिति पर साक्ष्य-आधारित विस्तृत रिपोर्ट अधिकतम एक पक्ष (15 दिन) में प्रस्तुत करें। अब जिले की निगाहें उस रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो यह तय करेगी कि यह हादसा किसकी लापरवाही का परिणाम है और आखिरकार जिम्मेदार कौन है।
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