सोनभद्र(AKD/गिरीश तिवारी)-केंद्र सरकार द्वारा मजदूर विरोधी और मालिक समर्थक बताए जा रहे चारों श्रम संहिताओं को एकतरफा लागू किए जाने के खिलाफ देशभर के श्रमिकों में भारी नाराज़गी है। आज 26 नवंबर को पिपरी स्थित उप श्रमायुक्त कार्यालय पर विभिन्न श्रमिक संगठनों ने संयुक्त रूप से प्रदर्शन कर महामहिम राष्ट्रपति को डीएलसी के माध्यम से ज्ञापन सौंपा।श्रमिक संगठनों ने कहा कि आजादी के बाद मजदूरों के लंबे संघर्ष से मिले 44 केंद्रीय श्रम कानूनों में से 29 कानून समाप्त कर चार श्रम संहिताएं लागू कर दी गई हैं, जो पूरी तरह अलोकतांत्रिक हैं। इनके लागू होने से बड़े पैमाने पर छटनी, 12 घंटे की ड्यूटी, महिलाओं से रात्रि पाली में काम, वेतन में कमी, ट्रेड यूनियन अधिकारों में कटौती, पेंशन–ग्रेच्युटी–पीएफ जैसी सामाजिक सुरक्षा का नुकसान और मजदूरों का शोषण बढ़ने का खतरा है।ज्ञापन में श्रमिक संगठनों ने 10 सूत्री मांगों का समाधान करने की भी अपील की। प्रमुख मांगों में—चारों श्रम संहिताओं की वापसी, ₹26,000 न्यूनतम मजदूरी, श्रम कानूनों का पालन, पुरानी पेंशन बहाली, बिजली–स्वास्थ्य–शिक्षा के निजीकरण पर रोक, संविदा कर्मियों को नियमित करने, मनरेगा मजदूरों को वर्ष में 200 दिन काम व ₹600 प्रतिदिन मजदूरी, स्कीम वर्कर्स को राज्य कर्मचारी घोषित करने, आउटसोर्स कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन व PF लाभ देने तथा ई-श्रम–BOC बोर्ड पंजीकृत श्रमिकों को आयुष्मान कार्ड उपलब्ध कराने की मांग शामिल है।इंटक के जिला अध्यक्ष हरदेवनारायण तिवारी, सीटू नेताओं विशंभर सिंह, सुरेंद्र पाल, कामरेड लालचंद ने चेतावनी दी कि अगर सरकार मजदूरों की मांगें नहीं मानी तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। सभा को राजेंद्र, शमीम अख्तर, खान गुड्डू उपाध्याय, द्वारिका प्रसाद चंद्रवंशी सहित बड़ी संख्या में श्रमिक नेताओं ने संबोधित किया।
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