मतदाता सूची पुनरीक्षण पर भाकपा का गंभीर सवाल,एक साल का समय बढ़ाने और लोगों से डर दूर करने की मांग

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सोनभद्र(AKD/गिरीश तिवारी)- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य कार्यकारिणी सदस्य व जिला सचिव कामरेड आर.के. शर्मा ने गुरुवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि इलेक्शन कमिशन द्वारा शुरू किया गया मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) सिर्फ एक महीने की अवधि में पूरा होना संभव नहीं है। 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक चल रहे इस अभियान में आम लोगों को फॉर्म लेने, भरने और बीएलओ से संपर्क करने में भारी दिक्कतें हो रही हैं।उन्होंने कहा कि इस समय प्रदेश में शादी-विवाह का सीजन है, किसान-खेत मजदूर कटाई और रोज़ी-रोटी के लिए बाहर जा रहे हैं।

खासकर सोनभद्र जैसे बड़े और दुर्गम जनपद में, जहां 1079 बूथ और 13 लाख से अधिक मतदाता हैं, इतने बड़े सत्यापन कार्य को एक महीने में पूरा करना व्यवहारिक नहीं है। कई ग्रामीणों को फॉर्म तक नहीं मिल पा रहे हैं और बीएलओ पर अनावश्यक दबाव डाला जा रहा है। दबाव के चलते आत्महत्या की घटनाएं तक सामने आई हैं, जिससे समाज में भय का माहौल है।कामरेड शर्मा ने कहा कि लोग डर में हैं कि फॉर्म न भरने पर कहीं उनकी नागरिकता ही न छिन जाए, जैसा कि बिहार के वोटर गणना में लाखों नाम हट जाने की खबरों ने जनमानस में डर पैदा किया है। बड़े पैमाने पर अशिक्षित मतदाता फॉर्म भी नहीं भर पा रहे हैं, न ही उनके पास तत्काल फोटो उपलब्ध है। इलेक्शन कमीशन ने इन जमीनी हकीकतों को ध्यान में नहीं रखा है।उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग की कार्यशैली सत्ताधारी दल के हितों को साधती दिखाई दे रही है। सुप्रीम कोर्ट में भी इस फैसले के खिलाफ कई याचिकाएं लंबित हैं। हाल ही के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि 24 नवंबर तक केवल 4.29 करोड़ फॉर्म जमा हुए हैं, जबकि 11 करोड़ का लक्ष्य रखा गया है, जो कहीं से भी संभव नहीं लगता।भाकपा नेता ने इलेक्शन कमीशन से मांग की कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए इस प्रक्रिया को तत्काल रोका जाए, लोगों पर दबाव खत्म किया जाए और 2026 के पंचायती चुनाव 2024 की वोटर लिस्ट के आधार पर कराए जाएं। साथ ही SIR के लिए पूरे एक वर्ष का समय दिया जाए, ताकि कोई मतदाता छूटने न पाए और लोगों में नागरिकता को लेकर फैला अनावश्यक डर भी समाप्त हो सके।

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