राजनीति में पिस रहे कर्मचारी व जनता,वजह जान उड़ेंगे होश

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अमेठी। संघर्ष का आवाहन के बैनर ताले सेकड़ो कार्यकर्तों ने संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस निरस्त होने एवं सभी सेवाओं पर प्रतिबंध लगने के बाद संचालन ठप होने पर अस्पताल पर प्रतिबंध हटाते हुए अस्पताल फिर से शुरू किए जाने को लेकर किया धरना प्रदर्शन वही कर्मचारियों ने बताया की आलम यह है कि सभी करीब 500 से अधिक कर्मचारी बेरोजगार एवं भुखमरी के कगार पर आ गए हैं। भाजपा सरकार और स्थानीय सांसद व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी जनता की समस्या सुलझाने के बजाय राजनीति करने में जुटी हैं। स्वास्थ्य सेवाओं पर राजनीति करने की वजह सुविधा और बढ़ाई जानी चाहिए ना की उसे बंद किया जाना चाहिए। आज संसद और भाजपा की इशारे पर अस्पताल को बंद कर जनता एवं मरीज के साथ विश्वास घात किया गया है ये हम लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम लोगों का सत्याग्रह अनवरत जारी रखेंगे। 1980 के दशक में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने संजय गांधी की कर्मभूमि पर संसदीय क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराए जाने को लेकर साढे 350 बेड का संजय गांधी चिकित्सालय की आधारशिला रखी। इस अस्पताल में अमेठी संसदीय क्षेत्र के साथ ही दर्जनों जनपद के हजारों मरीज प्रतिदिन इलाज के लिए अस्पताल आते थे। प्रतिदिन 650 से अधिक ओपीडी तो 200 से अधिक इमरजेंसी के साथ ही 1000 से अधिक विभिन्न जाच होती थी। गंभीर मरीजों का प्रतिदिन करीब 12 से 15 का ऑपरेशन होता था। लोगों को उच्च स्तरीय सुविधा मिलती थी। अस्पताल में उच्च स्तरीय सुविधा वाला ब्लड बैंक भी संचालित था। जिससे क्षेत्र के लोग लाभान्वित हो रहे हैं इन सब के बीच 14 सितंबर को मुसाफिरखाना कोतवाली के गांव रामशाहपुर निवासी अनुज शुक्ला की पत्नी दिव्या शुक्ला पथरी का ऑपरेशन करने के लिए अस्पताल आई थी। ऑपरेशन थिएटर में जाने के बाद उनकी हालत गंभीर हुई तो उन्हें लखनऊ स्थित मेदांता अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई। इस मामले में शासन और प्रशासन की ओर से 17 सितंबर को 90 दिन का समय देते हुए नोटिस जारी किया गया। लेकिन राजनीतिक विद्वेष भावना के चलते 24 घंटे के भीतर ही संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर सभी सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया। जिसके चलते अस्पताल में तैनात करीब 450 सौ कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं तो वहीं प्रतिदिन आने वाले मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो वही बाजार में सैकड़ो दुकानदारों की रोजी-रोटी पर भी संकट आ गया है। इसी को लेकर कर्मचारी संघ एवं अस्पताल का पूरा स्टाफ सत्याग्रह आंदोलन करने को बाध्य हुआ है। पीड़ित परिवार के साथ हम लोगों की पूरी संवेदना है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के इसारे पर ट्रस्ट की अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी को बदनाम करने के लिए यह सब शासन व प्रशासन पर दबाव बना कर कराया गया है। मांगे पूरी होने तक हम लोगों का प्रदर्शन जारी रहेगा। अस्पताल के वरिष्ठ कर्मचारी अरविंद श्रीवास्तव ने बताया कि हमारी सांसद कह रही हैं कि गांधी परिवार अपना नुकसान देख रहा है। जबकि यह अस्पताल डेढ़ करोड़ प्रतिवर्ष के घाटे में रहकर भी लोगों को लखनऊ जैसी उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा रहा है। हम लोग यहां 35 वर्षों से कार्यरत हैं लाखों गंभीर से गंभीर मरीज यहां से ठीक होकर गए हैं। इस तरह का आरोप प्रत्यारोप रूप लगाने के बजाय क्षेत्र की जनता की समस्याओं और मरीज को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं संसद को उपलब्ध करानी चाहिए। संजय गांधी अस्पताल के ऑपरेशन मैनेजर मनो कर्णिका मिश्रा ने कहा कि शासन और प्रशासन की ओर से जल्दबाजी में की गई कार्रवाई न्यायोचित नहीं है। अस्पताल प्रशासन का पक्ष लेने के बाद ही इस पर कार्यवाही व निर्णय लेना चाहिए था। अस्पताल बंद होना क्षेत्र की जनता एवं मरीज के हित में नहीं है। सरकार और न्यायालय पर उन्हें पूरा भरोसा है इसका संचालन जल्द शुरू होगा। कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संजय सिंह ने कहा कि अगर संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस बहस नहीं किया जाता तो हम लोग अपनी अंतिम सांस तक आर पार की लड़ाई लड़ेंगे। इसके लिए उन्हें कुछ भी करना पड़ेगा उनका संघ तैयार है। दूसरे दिन सत्याग्रह स्थल पर कर्मचारियों ने उग्र रूप से नारेबाजी करते हुए लाइसेंस बहाली एवं संचालन की आवाज बुलंद की। हालांकि इन सब के बीच सड़कों से आने जाने वाले राहगीर बेरोजगार हुए कर्मचारी की मनो दशा को देखकर इस कार्रवाई के विरोध में कोसते नजर आए। इस मौके पार् कर्मचारी संघ पैरामेडिकल स्टाफ नर्सिंग स्टाफ समेत कॉन्ट्रैक्ट वर्कर मौजूद रहे।

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