सोनभद्र :जलीय पारिस्थितिकी तंत्र पर परित्यक्त खनन

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सोनभद्र: खनन को लेकर जिला हमेशा से सुर्खियों में रहने का कार्य किया है। जिले से लेकर राजधानी तक जिले के खनन की ही चर्चा हमेशा होती रहती है। बाहर से आकर खनन करने वाले तो मालामाल हो जाते हैं राजधानी से लेकर अन्य शहरों में उनकी ऊंची इमारतें चमकने लगती है लेकिन सोनभद्र का निवासी आज भी फटेहाल जिंदगी जीने को मजबूर हैं इनको कुछ भी नसीब नहीं होता शिवाय प्रदूषण और भुखमरी के। सरकार द्वारा खनन को सही प्रकार से चलने के लिए अनेक प्रकार के हथकंडे अपनाए गए लेकिन खनन माफियाओं द्वारा सरकार व एनजीटी के सभी नियमों को तक पर रखकर धड़ल्ले से खनन कर रहे हैं। नदी में मशीन उतारना और अवैध पुल बनाना वर्जित है लेकिन इसके बावजूद भी खनन कर्ताओं द्वारा नदी में पुल बनाकर बालू का खनन किया जा रहा है। इस संबंध में अधिकारियों को जानकारी मिलते ही उन्होंने कंपनी के खिलाफ नोटिस जारी कर आगे की कार्यवाही शुरू कर दी है। ताजा मामला ओबरा थाना क्षेत्र के रेणुका नदी में हो रहे बालू खनन का है जहां पर एस के बायो कंपनी द्वारा रेणुका नदी पर अवैध तरीके से पुल का निर्माण कर बालू का खनन किया जा रहा है इसके साथ ही नदी में आधुनिक मशीनों को लगाकर बालू की निकासी की जा रही है। इससे नदी में रहने वाले जलीय जीवों के जीवन पर संकट है। वही हम बात करें तो सूबे के तत्कालीन मंत्री संजय निषाद द्वारा लाखों रुपए की मछलियां भी नदी में छोड़ी गई थी लेकिन खनन माफिया के चलते उनकी बलि चढ़ गई। इस नदी में अनेक प्रकार के दुर्लभ जलीय जीव भी पाए जाते हैं उनके भी जीवन पर संकट मंडरा रहा है। स्थानीय लोगों की बातों पर गौर करें तो दिन-रात मशीनों की गड़गड़ाहट और पोकलेन की आवाजों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा है। हालांकि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिले के खान अधिकारी द्वारा उक्त कंपनी पर कार्यवाही की गई है उसके साथ ही जांच टीम गठित की गई है।

जलीय पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर खड़े हो रहे सवाल :

ओबरा तहसील क्षेत्र खेवन्धा बालू साइट के खंड ब के पास रेणुका नदी की धारा रोककर बालू खनन के मामले में वायरल वीडियो ने एक बार फिर से तूल पकड़ लिया है। हैदराबाद से जुड़ाव रखने वाले एसके बायो कंपनी के खिलाफ खनन विभाग की तरफ से कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इस संबंध में पट्टाधारक, पार्टनर और संचालनकर्ता को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। उल्लेखनीय है की रेणुका नदी जहां सोन नदी की प्रमुख सहायक नदी है। वहीं, प्रदूषण के लिहाज से ओबरा के आस-पास की इस नदी से जुड़ी एरिया बेहद संवेदनशील है। खेवंधा में बालू खनन के लिए रोकी जा रही कथित नदी की धारा ने जहां, जलीय पर्यावरण को लेकर ढेरों सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीं, शासन की तरफ से लगातार दिए जा रहे सख्ती के निर्देश और जिला प्रशासन की तरफ दी जाती हिदायतों के बाद भी खनन कर्ता अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे है। बताते है की खनन का कार्य खेवधा के पास स्थित खंड ब पर बालू साइट के संचालन का पट्टा मेसर्स एसके बायो इक्ट्राक्ट एंड एप्लीकेशंस प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा गया है। हैदराबाद से जुड़ी इस कंपनी को यहां छह हेक्टेअर एरिया में बालू खनन के लिए पट्टा आवंटन का दावा किया जा रहा है। वायरल वीडियो के आधार पर दावा किया जा रहा है कि इस पट्टे की आड़ में यहां जलीय पर्यावरण की अनदेखी की जा रही है और नदी के बीच से बालू निकासी के लिए नदी की धारा को प्रभावित कर अस्थाई रास्ता तो बनाया ही गया है, नदी के बीच में बालू खुदाई के लिए पोकलेन भी उतार दी गई हैं। इस पर उक्त कार्यवाई की गई है।

यह बोले जनपद के प्रभारी मंत्री :
इस संबंध में जिले के प्रभारी मंत्री से बात किया गया था उन्होंने कहा कि मामला आपके द्वारा संज्ञान में लाया गया है जांच कर उचित निर्णय लिया जाएगा। वही इस संबंध में जिले के खान अधिकारी राकेश बहादुर सिंह का कहना है कि उक्त कंपनी को नोटिस जारी कर दी गई है उसके साथ एक टीम को गठित कर दिया गया है जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।

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