दोगुने टोल जुर्माने से जनता बेहाल, फास्टैग विफलता पर केवल 5% जुर्माना हो: विजय शंकर यादव

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सोनभद्र(अरविंद दुबे,गिरीश तिवारी)
फास्टैग की तकनीकी खामियों से त्रस्त आम जनता पर दोगुने जुर्माने का बोझ अब असहनीय होता जा रहा है। इस आर्थिक अत्याचार के खिलाफ अब भारतीय अहिंसा सेवा संस्थान ने मोर्चा खोल दिया है। संस्थान के अध्यक्ष, पूर्व छात्र नेता और जनसेवक विजय शंकर यादव ने केंद्र सरकार से स्पष्ट कहा है—दोगुना नहीं, केवल 5% जुर्माना ही उचित है!विजय शंकर यादव का कहना है कि फास्टैग न रहने या तकनीकी कारणों से उसके काम न करने की स्थिति में सीधे दोगुना टोल वसूलना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि यह देश की मेहनतकश जनता पर सीधा आर्थिक आक्रमण है। “आज देश का आम नागरिक महंगाई, बेरोज़गारी और रोज़मर्रा की समस्याओं से पहले ही कराह रहा है। ऊपर से फास्टैग जैसी प्रणाली की खामियों की सज़ा जनता को क्यों दी जाए?”
संस्थान ने केंद्र सरकार और विशेष रूप से केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री को पत्र व ऑनलाइन माध्यमों से यह स्पष्ट मांग भेजी है कि यदि फास्टैग अनुपलब्ध या तकनीकी रूप से निष्क्रिय मिले, तो मात्र 10% अर्थदंड लिया जाए, ताकि सिस्टम में अनुशासन बना रहे लेकिन जनता पर अत्यधिक बोझ न पड़े।संगठन का मानना है कि तकनीकी अनियमितताओं के लिए उपभोक्ता को दंडित करना डिजिटल इंडिया के मूल विचार के विपरीत है। यह कदम न केवल जनता को राहत देगा, बल्कि उन्हें डिजिटल भुगतान प्रणाली के प्रति विश्वास भी देगा।अब आगे की लड़ाई बड़ी होगी!
भारतीय अहिंसा सेवा संस्थान अब इस मुहिम को अन्य सामाजिक संगठनों और नागरिक मंचों के सहयोग से राष्ट्रीय स्तर पर उठाएगा। सरकार को जनआक्रोश का अंदाज़ा होना ज़रूरी है—वर्ना डिजिटल के नाम पर आर्थिक दमन को जनता अब और बर्दाश्त नहीं करेगी।

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