मनुष्य के अंदर छुपे रावण का करें दहन: बीके सुमन

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  • श्री राम, लक्ष्मण, सीता, हनुमान जी की सजाई गई चैतन्य आकर्षक झांकी
  • राबर्ट्सगंज के विकास नगर स्थित ब्रह्मकुमारीज सेवा केंद्र पर अध्यात्मिक समागम का हुआ आयोजन
  • सोनभद्र( अरविंद दूबे, गिरीश तिवारी) -प्रतिवर्ष दशहरे के अवसर पर रावण के पुतले का दहन करने के बावजूद मानवता के इस महाशत्रु का आकार प्रतिवर्ष बढ़ता ही जा रहा है | शत्रु के पुतले का ही दहन किया जाता है| रावण के श्राप से मनुष्य का जीवन स्थापित होकर दुखी, अशांत और अधर्म के मार्ग पर भटक गया है। एक रावण हम सभी मनुष्य के अंदर भी है। जिसका दहन किया जाना निहायत जरूरी है। उक्त बातें राबर्ट्सगंज के विकास नगर स्थित ब्रह्मकुमारीज सेवा केंद्र पर दशहरा के अवसर पर आयोजित अध्यात्मिक समागम में सेवा केंद्र की प्रमुख संचालिका बीके सुमन ने कही।
    उन्होंने कहा कि इस रावण से आपका सामना किसी भी गली-चौराहे पर हो सकता है। यह रावण भेष बदलने में बहुत माहिर है। इससे सतर्क रहने की आवश्यकता है, किसी भी समय रूप बदलकर आत्मा रूपी सीता का हरण कर सकता है। रावण अर्थात मनुष्य के जीवन को नर्क बनाने वाले काम ,क्रोध, मोह,और अहंकार, रूपी पांच मनोविकार । पांच विकार हमारी सुखमय जीवन-यात्रा के महाशत्रु हैं ,जिससे मनुष्य का जीवन श्रापित हो जाता है। अपने अंदर छिपे हुए रावण को जानने और इसका दहन करने के लिए ईश्वरीय ज्ञान और राजयोग का आवश्यक है। वर्तमान समय में स्वयं निराकार परमपिता परमात्मा शिव इस धरा पर मानवीय माध्यम से ईश्वरीय ज्ञान और राजयोग की शिक्षा दे रहे हैं। इससे मनुष्यात्माएं रावण के श्राप से मुक्त होकर सुखमय जीवन व्यतीत करते हुए श्रेष्ठ पुरुषार्थ करके जन्म-जन्मांतर के लिए अपना श्रेष्ठ भाग्य बना सकती हैं ।
    इस अवसर पर सेवाकेंद्र पर श्रीराम,लक्ष्मण, सीता, हनुमान जी की चैतन्य आकर्षक झांकी सजाई गई , तथा बढ़ौली चौराहा पर विश्व नवनिर्माण आध्यात्मिक चित्र प्रदर्शनी के माध्यम से लोगों को ईश्वरीय संदेश दिया गया । बाल हनुमान के रूप में(आरव) राम के रूप में (देव) सीता के रूप में (रिद्धि) लक्ष्मण के रूप मे (दीप), सजे हुए बच्चों ने उपस्थित लोगों को जीवन में आसुरी शक्तियों को संघार करके श्रेष्ठ मानवीय मूल्यों को जीवन में धारण करने का संदेश दिया । इस प्रोग्राम को सफल बनाने मे बी०के०सीता, सरोज बहन, कविता, दीपशिखा,नितु बहन,हरिंद्र भाई, अवधेश भाई, गोपाल भाई आदि का सहयोग रहा।

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