( आचार्य प्रशान्त मिश्र )
मां दुर्गा को समर्पित शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व 3 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहा है। प्रशान्त मिश्र जी नें बताया कि इस साल माता रानी नौका (नाव) पर सवार होकर आ रहीं हैं और हाथी पर प्रस्थान करेंगी। मान्यता है कि जिस वर्ष माता का नौका पर आगमन होता है, शुभ फलकारी सौख्यकारी माना गया है वहीं, हाथी पर प्रस्थान अत्यधिक वर्षा का संकेत माना जाता है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। इस दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। नवरात्रि के प्रथम दिन सूर्योदय से लेकर दोपहर 03:17 बजे तक हस्त नक्षत्र व्याप्त रहेगा और उसके बाद चित्रा नक्षत्र प्रारंभ होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हस्त नक्षत्र में कलश या घट स्थापना करना अत्यंत शुभ माना गया है। इसके बाद सुबह 11 बजकर 37 मिनट से लेकर 12 बजकर 23 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा इसमें भी कलश स्थापन किया जाएगा । विधिवत् मां शैलपुत्री का पूजन अर्चन करें ! पर्वतराज हिमालय की पुत्री, देवी शैलपुत्री नवरात्रि के पहले दिन अर्चना की जाती हैं। इनको सफेद रंग बहुत प्रिय है और मां शांति और पवित्रता का प्रतीक हैं।
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