मूर्ति या मूर्खता? सरकारी ज़मीन पर कब्ज़े की साज़िश बेनकाब,प्रशासन की सख्ती से टली बड़ी हिंसा

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सोनभद्र : (अरविंद दुबे,गिरीश तिवारी)-रॉबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र के धोबहीं गांव में अंबेडकर जयंती के मौके पर दो पक्ष आमने-सामने आ गए। बिना अनुमति के अंबेडकर मूर्ति की स्थापना का प्रयास किया जा रहा था, जिसे गांव के ही कुछ लोगों ने अवैध बताते हुए विरोध किया। बात इतनी बढ़ी कि विवाद और मारपीट की नौबत आ गई। मौके पर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों ने तत्काल हस्तक्षेप कर स्थिति को संभाला और मूर्ति स्थापना रोक दी। अब अराजकता फैलाने वालों पर कार्रवाई की तैयारी है।अंबेडकर जयंती के अवसर पर सोनभद्र के धोबहीं गांव में एक बड़ा विवाद उस समय खड़ा हो गया, जब ग्राम प्रधान की शह पर तालाब के भीटे पर डॉ. भीमराव अंबेडकर की मूर्ति स्थापित करने का प्रयास किया गया। यह सब बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के किया जा रहा था।

गांव के कुछ जागरूक ग्रामीणों ने जब इसे तालाब की सरकारी जमीन पर कब्जे की कोशिश बताया, तो विरोध शुरू हो गया।विवाद बढ़ते-बढ़ते मारपीट की कगार पर पहुंच गया। तनाव को भांपते हुए कोतवाली प्रभारी सत्येंद्र कुमार राय और सदर तहसीलदार अमित कुमार सिंह पुलिस व पीएसी के साथ मौके पर पहुंचे और स्थिति को नियंत्रण में लिया।स्थानीय ग्रामीण ओमप्रकाश मिश्रा ने आरोप लगाया कि ग्राम प्रधान की शह पर यह अवैध मूर्ति स्थापना की जा रही थी। उन्होंने कहा कि प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली गई थी, और तालाब की जमीन पर अतिक्रमण कर मूर्ति लगाने की कोशिश हो रही थी।तहसीलदार अमित कुमार सिंह ने स्पष्ट किया कि यह मूर्ति स्थापना दरअसल सरकारी जमीन पर कब्जे की साज़िश थी। तालाब के भीटे पर अतिक्रमण किया गया था, जिसे जेसीबी की मदद से हटवाया गया। उन्होंने कहा कि मौके पर माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जा रही है।

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