सोनभद्र, (अरविंद दुबे,गिरीश तिवारी)-
राज्यव्यापी आंदोलन के तहत भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने गुरुवार को बिजली के निजीकरण और श्रमिकों के शोषण के खिलाफ कलेक्ट्रेट पर जमकर प्रदर्शन किया। सैकड़ों कार्यकर्ता हाथों में झंडे और होठों पर नारे लेकर जब जिला मुख्यालय पहुंचे तो प्रशासनिक गलियारे आंदोलन की गरमी से तप उठे। भाकपा के बैनर तले जिला कौंसिल सोनभद्र के नेतृत्व में निकले इस विशाल जुलूस ने बिजली वितरण निगमों के निजीकरण, संविदा कर्मियों की छंटनी, रियायती बिजली की कटौती और स्मार्ट मीटर जैसे जनविरोधी फैसलों को लेकर प्रदेश सरकार पर सीधा हमला बोला और छह सूत्रीय मांगों को लेकर महामहिम राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। धरना स्थल पर जुटे जनसमूह को संबोधित करते हुए पार्टी नेताओं ने दो टूक कहा कि सरकार की नीतियाँ साफ़ तौर पर पूंजीपतियों के पक्ष में और जनता व श्रमिकों के खिलाफ हैं, और अगर ये फैसले वापस नहीं लिए गए तो संघर्ष और तेज़ होगा। वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण न सिर्फ कर्मचारियों के अधिकारों पर हमला है, बल्कि करोड़ों उपभोक्ताओं के लिए महंगी बिजली और शोषण का रास्ता खोलता है, इसलिए इसे तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए। इसके साथ ही सरकार द्वारा बिजली कर्मियों की रियायती बिजली सुविधा को समाप्त करने के लिए स्मार्ट मीटर लगाने की जो कवायद चल रही है, वह भी निजीकरण की भूमिका है और इसे भी तुरंत रोका जाए। प्रदर्शन में यह भी मांग उठी कि मार्च 2023 में सांकेतिक हड़ताल के दौरान जिन संविदा कर्मियों को हटाया गया, उन्हें उर्जा मंत्री के 19 मार्च 2023 के सार्वजनिक आश्वासन के अनुसार तत्काल बहाल किया जाए और उनके खिलाफ की गई उत्पीड़क कार्रवाई को समाप्त किया जाए। इसके साथ ही ओबरा ‘डी’ और अनपरा ‘ई’ जैसी भारी विद्युत परियोजनाएं, जिन्हें निजी हाथों में सौंपने की तैयारी चल रही है, उन्हें जनहित में पूरी तरह उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम को सौंपा जाए, क्योंकि यह जनता की संपत्ति है, कोई बेचने का माल नहीं। भाकपा नेताओं ने यह भी कहा कि पारेषण में टैरिफ बेस्ड कॉम्पटीटिव बिडिंग के नाम पर जो निजीकरण की चालें चली जा रही हैं, वह प्रदेश के ऊर्जा ढांचे के खात्मे की साजिश है और इसे किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने मांग की कि वर्ष 2000 में यूपीएसईबी के विघटन के बाद पैदा हुई अव्यवस्था को सुधारने के लिए तत्काल सभी विद्युत संस्थाओं का एकीकरण कर उत्तर प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड लिमिटेड (यूपीएसईबी लि.) का पुनर्गठन किया जाए, ताकि कर्मचारी और उपभोक्ता दोनों को राहत मिल सके। इस संघर्ष की अगुवाई कर रहे थे पार्टी के जिला सचिव कामरेड आर. के. शर्मा, जिनके साथ बसावन गुप्ता, अमरनाथ सूर्य, संजय रावत, चंदन प्रसाद, रामजतन, सूरज बंसल, ज्योति कुमार, नितेश मौर्य, ज्ञान प्रकाश, सुजित सिंह, राजेश सिंह, विरेन्द्र सिंह गोंड, राजकुमार, रमेश, लीलाधर विश्वकर्मा, मुन्ना सिंह खरवार, अमरनाथ अगरिया, पंचू यादव, दुर्जोधन, गुलाब धांगर समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे। आज का यह प्रदर्शन न सिर्फ सरकार को एक कड़ा संदेश है, बल्कि इस बात का ऐलान भी कि जब जब जनता की संपत्ति को बेचा जाएगा, तब तब सड़कों पर जनसैलाब खड़ा होगा।
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