क्रेशर व्यवसायियों के पक्ष में छात्र नेता अभिषेक अग्रहरी ने उपजिलाधिकारी से की न्यायोचित कार्रवाई की मांग

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ओबरा, सोनभद्र।(अरविंद दुबे,गिरीश तिवारी)
ओबरा क्षेत्र में संचालित क्रेशर इकाइयों पर जिला प्रशासन द्वारा की जा रही तात्कालिक जांच और दंडात्मक कार्रवाइयों के विरोध में छात्र नेता अभिषेक अग्रहरी ने शुक्रवार को उपजिलाधिकारी ओबरा को एक गंभीर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर की जा रही छापेमारी में न्यायिक प्रक्रिया की अनदेखी हो रही है, जिससे क्रेशर व्यवसायियों को भारी आर्थिक और मानसिक क्षति हो रही है।अभिषेक अग्रहरी ने बताया कि 2 अप्रैल 2025 को जिलाधिकारी कार्यालय से निर्गत आदेश संख्या 15/पी०ए०डी०एम०–प्रशांत टीम/2025 के तहत गठित विशेष टीम द्वारा प्रदूषण नियंत्रण की जांच की जा रही है, लेकिन यह कार्रवाई बिना किसी पूर्व सूचना और मानकों की स्पष्ट जानकारी दिए सीधे दंडात्मक ढंग से की जा रही है, जो पूर्णतः अनुचित है। उन्होंने कहा कि प्रशासन की यह शैली न केवल क्रेशर व्यवसायियों को भयभीत कर रही है, बल्कि उनके रोज़गार पर भी संकट खड़ा कर रही है।ज्ञापन में छात्र नेता ने तीन मांगें स्पष्ट रूप से रखीं— पहली, क्रेशर संचालकों को प्रदूषण नियंत्रण संबंधी सभी मानकों की जानकारी लिखित रूप में प्रदान की जाए; दूसरी, अगर कोई इकाई निर्धारित मानकों से भटक रही है, तो उसे सुधार हेतु एक निश्चित समयसीमा दी जाए; और तीसरी, जब तक यह प्रक्रिया पूरी न हो, तब तक तत्काल प्रभाव से दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाई जाए।उन्होंने यह भी कहा कि यदि निर्धारित अवधि के बाद कोई इकाई मानकों का पालन नहीं करती है तो उसके विरुद्ध विधिसम्मत कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि प्रशासन की कार्यवाही न्यायोचित, पारदर्शी एवं संतुलित बनी रहे।अंत में उन्होंने उपजिलाधिकारी से आग्रह किया कि इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए, व्यवसायियों के हितों की रक्षा करते हुए, प्रशासनिक दिशा-निर्देश शीघ्र जारी किए जाएं, ताकि औद्योगिक गतिविधियां सुचारू रूप से जारी रह सकें और किसी का रोज़गार बिना वजह प्रभावित न हो।

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