कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि पर धन्वंतरि पूजन और दीपदान का विशेष महत्व
रिपोर्ट पब्लिक डेस्क
सोनभद्र। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाने वाला धनतेरस पर्व इस वर्ष 18 अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा। धनतेरस केवल खरीदारी का त्योहार नहीं, बल्कि आरोग्य, समृद्धि और आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की आराधना का पावन दिन है। इसी दिन से दीपावली महापर्व की शुरुआत होती है, जो 20 अक्टूबर, सोमवार को मनाई जाएगी। त्योहार को लेकर बाजारों में रौनक हफ्तेभर पहले से ही देखने को मिल रही है। दुकानों पर बर्तनों, सोने-चांदी के आभूषणों और सजावटी वस्तुओं की खरीदारी करने वालों की भीड़ उमड़ रही है।
धनतेरस का धार्मिक महत्व
धनतेरस को ‘धन त्रयोदशी’ या ‘धन्वंतरि जयंती’ के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। तभी से इस दिन धातु और बर्तन खरीदने की परंपरा चली आ रही है। धनतेरस का संदेश यह है कि “धन” केवल भौतिक संपत्ति नहीं, बल्कि उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु ही सच्चा धन है। यही कारण है कि यह दिन आयुर्वेद और आरोग्य के प्रति जागरूकता का प्रतीक माना जाता है।

पूजा का शुभ मुहूर्त
तिथि: 18 अक्टूबर 2025, शनिवार
शुभ मुहूर्त: सायं 7:17 से 9:13 बजे तक (दिल्ली समयानुसार)
अवधि: लगभग 1 घंटा 56 मिनट
यह समय भगवान धन्वंतरि की पूजा, दीपदान और खरीदारी के लिए सबसे शुभ माना गया है।
पूजा विधि और धार्मिक कर्म
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की षोडशोपचार विधि से पूजा करने का विधान है। पूजा से पूर्व घर के उत्तर-पूर्व दिशा में स्वच्छ स्थान पर भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। गंगाजल से शुद्धिकरण कर दीप प्रज्वलित करें और फल, पुष्प, तुलसी, मिठाई अर्पित करें। “ॐ धन्वंतरये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें और पूजा के अंत में यमराज के नाम का दीप दक्षिण दिशा में जलाएं। ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।
धनतेरस पर क्या खरीदें
धनतेरस के दिन खरीदी गई वस्तुएं पूरे वर्ष घर में लक्ष्मी का वास बनाए रखती हैं। खरीदने योग्य वस्तुएं: सोना-चांदी: लक्ष्मी कृपा और समृद्धि का प्रतीक। पीतल या तांबे के बर्तन: स्वास्थ्य एवं आयुर्वेदिक ऊर्जा के प्रतीक। धनिया: बरकत और संपन्नता का संकेत। झाड़ू: घर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और लक्ष्मी के आगमन का प्रतीक। मान्यता है कि धनतेरस के दिन फूल वाली झाड़ू खरीदने से घर की दरिद्रता दूर होती है और समृद्धि आती है।
दीपदान का महत्व
धनतेरस की शाम को घर के मुख्य द्वार, आंगन और तुलसी चौरा में दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह न केवल अंधकार को दूर करता है, बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य का संचार करता है। संध्या के समय यमराज के नाम का दीप दक्षिण दिशा में जलाना चाहिए, जिससे अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और दीर्घायु प्राप्त होती है।
राहुकाल से रहें सावधान
शनिवार के दिन राहुकाल सुबह 9:00 बजे से 10:40 बजे तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य या खरीदारी करने से बचना चाहिए। राहुकाल के बाद पूरे दिन खरीदारी और पूजा के लिए शुभ समय रहेगा। धनतेरस का यह शुभ अवसर आपके जीवन में आरोग्य, आयु और समृद्धि लेकर आए यही मंगलकामना।
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