नई दिल्ली(AKD/गिरीश तिवारी)- : नई दिल्ली के सुरजीत भवन में आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (AIPF) का दो-दिवसीय चौथा राष्ट्रीय अधिवेशन रविवार को पूर्ण हुआ। देश की मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति, संगठनात्मक समीक्षा, लोकतांत्रिक चुनौतियों, विज्ञान-विरोधी प्रवृत्तियों और किसानों मजदूरों युवाओं से जुड़े ज्वलंत मुद्दों पर व्यापक चर्चा के बीच संगठन ने आगामी वर्ष की दिशा और रणनीति तय की। अधिवेशन के अंतिम सत्र में नए नेतृत्व का चयन, राष्ट्रीय समिति, राष्ट्रीय कार्यसमिति और सलाहकार मंडल का गठन भी सम्पन्न हुआ।

अधिवेशन में सर्वसम्मति से एस.आर. दारापुरी को पुनः राष्ट्रीय अध्यक्ष, डॉ. राहुल दास को महासचिव, कशु शुभमूर्ति को संगठन महासचिव, नसीम खान और विजय सिंह को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चुना गया। इसके साथ ही पुष्पा उरांव, सविता गोंड, अमृता और अमर सिंह को राष्ट्रीय सचिव, दिनकर कपूर को कोषाध्यक्ष तथा सुरेश चंद्र बिंद को कार्यालय सचिव बनाया गया। सम्पूर्ण देश से आए प्रतिनिधियों की सहमति से 43 सदस्यीय राष्ट्रीय समिति, 19 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यसमिति और शुभमूर्ति, राघवेंद्र कुस्तुगी, अक्षय कुमार, जया मेहता, डॉ. दिनेश ओबेरॉय, कल्पना शास्त्री, सतेंद्र रंजन, पांडियन कविता शास्त्री और डॉ. रमन को सम्मिलित करते हुए सलाहकार मंडल का गठन किया गया।अधिवेशन को संबोधित करते हुए संस्थापक सदस्य अखिलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हिंदुत्व की प्रेरक शक्ति वैश्विक वित्तीय पूँजी है, जिसने भारत के संविधान, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय की नींव को गंभीर संकट में डाल दिया है। उनका कहना था कि इस खतरे का जवाब केवल एक व्यापक लोकतांत्रिक गठबंधन ही दे सकता है, जिसके लिए रूढ़िवादी राजनीतिक ढाँचों से आगे बढ़कर एक बड़ी वैचारिक एकजुटता बनानी होगी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब तक राज्य का चरित्र लोकतांत्रिक नहीं होगा और जन-लोकतंत्र की स्थापना नहीं होगी, तब तक सत्ता में केवल हिस्सेदारी से न्याय संभव नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि AIPF देश को यह साफ विमर्श देने की दिशा में प्रतिबद्ध है कि पूँजी, तकनीक और बाज़ार का निर्माण किस प्रकार हो, उत्पादन शक्तियाँ कैसे स्वावलंबी बनें और विकास का मॉडल जनता-केंद्रित कैसे तैयार किया जाए।वैश्विक दक्षिण की राजनीति और बदलते विश्व समीकरणों पर चर्चा करते हुए अखिलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध के बाद निर्मित अंतरराष्ट्रीय ढाँचों को अब स्वयं कमजोर कर रहा है, ऐसे में विकासशील देशों की स्वतंत्र, मजबूत और न्यायपूर्ण एकता अत्यंत आवश्यक है। वैज्ञानिक दिनेश अबरोल और डॉ. रमन ने विज्ञान-विरोधी वातावरण, अंधविश्वास और दकियानूसी विचारों को सत्ता द्वारा बढ़ावा दिए जाने को देश के लिए खतरनाक बताया और कहा कि यह संविधान की मूल भावना के विपरीत है।दो दिनों की गहन विचार श्रृंखला के बाद अधिवेशन ने यह निष्कर्ष दिया कि हिंदुत्व कॉरपोरेट गठजोड़ के विरुद्ध व्यापक लोकतांत्रिक राजनीतिक मंच का निर्माण ऐतिहासिक आवश्यकता है। युवाओं, महिलाओं, किसानों, मजदूरों, दलित–पिछड़े और उपेक्षित समुदायों के अधिकारों पर आधारित जन-लोकतांत्रिक दिशा ही देश के भविष्य का मार्ग तय करेगी। AIPF ने संकल्प लिया कि आने वाले वर्ष में पूरे देश में रोजगार, सामाजिक अधिकार, लोकतांत्रिक संस्थाओं की रक्षा और आर्थिक न्याय के मुद्दों पर राष्ट्रीय स्तर की पहल चलाई जाएगी।
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