सोनभद्र (AKD/गिरीश तिवारी) : – उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में सुर्खियां बटोर चुके नशीले कफ सिरप तस्करी मामले की जड़ें सोनभद्र से निकलकर अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क तक फैल चुकी हैं। यह मामला अब सिर्फ गिरफ्तारी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अवैध कारोबार से जुड़े ठिकानों पर बुलडोजर कार्रवाई की संभावनाओं को भी जन्म दे रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि नशे के कारोबारियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।इस सनसनीखेज मामले की शुरुआत 18 अक्टूबर को सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र में हुई, जब वाहन चेकिंग के दौरान एक ट्रक से नमकीन और चिप्स के पैकेटों के बीच छुपाकर ले जाई जा रही करोड़ों रुपये की नशीली कफ सिरप की खेप बरामद की गई। इस बरामदगी के बाद गठित एसआईटी टीम ने जांच का दायरा बढ़ाया और परत-दर-परत पूरे रैकेट का खुलासा शुरू हुआ।पुलिस अधीक्षक अभिषेक वर्मा के निर्देशन में की गई जांच में झारखंड की राजधानी रांची और उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से भी करोड़ों की कफ सिरप बरामद की गई। जांच में सामने आया कि इस पूरे नेटवर्क का संचालन शुभम जायसवाल और उसके पिता भोला जायसवाल कर रहे थे। रांची में भोला जायसवाल के नाम से पंजीकृत शैली ट्रेडर्स एजेंसी का गोदाम और लाइसेंस पूरी तरह फर्जी पाया गया। औषधि विभाग के सत्यापन में कई गंभीर खामियां सामने आईं, जिसके बाद थाना धुर्वा, रांची में मुकदमा दर्ज कराया गया।गिरफ्तारी से बचने के लिए शुभम जायसवाल फरार हो गया, जबकि उसका पिता भोला जायसवाल विदेश भागने की कोशिश में कोलकाता एयरपोर्ट पहुंचा, जहां सटीक सूचना पर पहुंची सोनभद्र पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। एसआईटी जांच में यह भी खुलासा हुआ कि शैली ट्रेडर्स के जरिए सप्लाई की गई न्यू फेन्साडिल कफ सिरप सिलीगुड़ी और दार्जिलिंग होते हुए बांग्लादेश बॉर्डर तक पहुंचाई जा रही थी। इस मामले में एनसीबी सिलीगुड़ी ने भी अलग से मुकदमा दर्ज किया है।जांच में शामिल अन्य आरोपियों में भदोही निवासी निशांत कुमार गुप्ता उर्फ रवि गुप्ता के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है, जबकि शुभम जायसवाल और विशाल उपाध्याय पहले से ही लुकआउट नोटिस की सूची में शामिल हैं। सबसे बड़ा आर्थिक खुलासा तब हुआ जब एसआईटी जांच में पाया गया कि शुभम जायसवाल से जुड़ी सोनभद्र की फर्जी फर्मों के बी-लेयर बैंक खातों में महज एक-एक साल में करीब 50 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है। अब जांच एजेंसियां मनी ट्रेल, लेयरिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से गहन वित्तीय जांच कर रही हैं।इस पूरे नेटवर्क का एक अहम ठिकाना सोनभद्र में मां कृपा मेडिकल एंड शिविक्षा प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कागजों में दिखाया गया एक मकान है। पब्लिक भारत न्यूज़ की टीम जब ग्राउंड जीरो पर पहुंची, तो सामने आया कि उस मकान पर न तो कोई बोर्ड लगा है, न ही कोई रजिस्ट्रेशन नंबर और न ही मेडिकल एजेंसी संचालन से जुड़ी कोई गतिविधि। स्थानीय लोगों का भी कहना है कि उन्होंने कभी यहां इस तरह का कोई काम होते नहीं देखा।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त रुख के बाद अब यदि जांच में यह मकान अवैध और फर्जी पाया गया, तो उस पर बुलडोजर कार्रवाई की पूरी संभावना जताई जा रही है। इसी को लेकर पूरे सोनभद्र जिले में चर्चाओं का बाजार गर्म है।
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