खंडहर में तब्दील हुआ अघोर सेवा सदन: जहां कभी सेवा की लौ जलती थी, आज है खंडहर, लेकिन उम्मीद अब भी बाकी है

Share

डाला/सोनभद्र(गिरीश तिवारी):- समय के साथ सब कुछ बदल जाता है मगर कुछ बदलाव विरासत को निगल जाते हैं डाला में स्थित अघोर सेवा सदन, जो कभी आध्यात्मिक चेतना और निशुल्क जनसेवा,मानव कल्याण का केंद्र हुआ करता था विरासत तो खंडहर मैं तब्दील हो गई मगर नाम जीवंत हो गया आज भी बस्ती का नाम सेवा सदन है मगर वह स्थान आज भी वीरान पड़ा हुआ है। वहां जहाँ कभी सुबह की आरती की गूंज और बच्चों की पढ़ाई की आवाजें सुनाई देती थीं अब सिर्फ खंडहरों की चुप्पी है।

इस सेवा सदन में कभी विद्यालय संचालित होता था, जहाँ आदिवासी और गरीब तबके के बच्चे शिक्षा पाते थे यहाँ से भभूति दी जाती थी, जो लोगों के लिए आस्था ही नहीं, उपचार का भी माध्यम थी, बीमार, लाचार और उपेक्षित लोग यहां निःशुल्क चिकित्सा सेवा पाते थे यह आश्रम नहीं, सेवा और संवेदना की जीवंत मूर्ति था। लेकिन अब वह सब स्मृति बन चुका है जर्जर दीवारें, टूटी छतें और उखड़ते आंगन इस बात की गवाही दे रहे हैं कि प्रशासन और समाज ने मिलकर एक धरोहर को मरने दिया।

यह वही सेवा केंद्र है जिसने दशकों तक बिना किसी प्रचार के, हजारों ज़रूरतमंदों की चुपचाप सेवा की लेकिन इस सन्नाटे में एक संकल्प की हल्की-सी आवाज भी सुनाई दी है

जब इस स्थिति को लेकर पब्लिक भारत न्यूज़ की टीम ने अघोराचार्य बाबा कीनाराम अघोर शोध एवं सेवा संस्थान के व्यवस्थापक अरुण कुमार सिंह से बात की, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि—

हम इस सेवा केंद्र के ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व को समझते हैं। इसकी वर्तमान स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन हम इसे दोबारा जीवंत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बहुत जल्द यहाँ सेवा कार्यों की पुनः शुरुआत होगी। योजना तैयार है और स्थानीय जनसहयोग से इसे अमल में लाया जाएगा।
अरुण सिंह का यह बयान एक डूबती उम्मीद को तिनके का सहारा देता है। यह संकेत है कि अगर इच्छाशक्ति हो, सामाजिक समर्थन हो और मीडिया की नजर बनी रहे, तो खंडहर भी पुनः सेवा के मंदिर बन सकते हैं ।

Author Profile

Public Bharat News
Public Bharat News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *