आचार्य प्रशान्त मिश्र
इस साल चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू हो रहा हैं जबकि 17 अप्रैल को महानवमी के साथ इसका समापन होगा. चैत्र नवरात्रि के पवित्र दिन मां पराम्बा भगवती दुर्गा को समर्पित हैं. इन नौ दिनों में देवी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है. नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है ऐसी मान्यता है कि इनके पूजन से सुख सौभाग्य की वृद्धि होती है उन्हें फल, मिष्ठान और तरह-तरह के भोग अर्पित किए जाते हैं. कहते हैं कि चैत्र नवरात्रि में व्रत-उपासना करने वालों को पराम्बा आदिशक्ति दुर्गा मां से मनोवांछित वरदान मिल सकता है. चैत्र नवरात्रि में प्रतिपदा तिथि यानी पहले दिन कलश स्थापना की जाती है. इसके बाद ही देवी की पूजा आरम्भ होती है. श्री मिश्र ने बताया कि नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापन का शुभ मुहूर्त प्रात: स्थिर लग्न ७:३९ से ९:३५ या अभिजित मुहूर्त ११:३६ से १२:२४ में कलश स्थापन करें और आज ही के दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी इसलिए हम सभी सनातनीधर्मी महाउत्सव के रूप में मनातें है आज ही के दिन जो वार पड़ता है वहीं इस वर्ष के राजा होतें है इसी प्रकार मंगल इस वर्ष के राजा हुए !
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