आचार्य प्रशांत मिश्र
नवरात्रि के छठे दिन करें मां कात्यायनी का पूजन होगी सभी बाधाओं से मुक्ति..आचार्य प्रशान्त मिश्र ने बताया कि 13 अप्रैल दिन शनिवार को रात्रि 11:19 बजे सूर्य मेष राशि में प्रवेश कर गए हैं खरमास की समाप्ति हो गई विवाहादि मांगलिक कार्य प्रारम्भ हो जाएंगे जिसे मेष संक्रांति भी कहा जाता है .सत्तू संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा वहीं ज्योतिष शास्त्र में मेष राशि को अग्नि तत्व की राशि कहा जाता है और सूर्य भी अग्नि तत्व के ग्रह हैं. जब भी मेष राशि में सूर्य प्रवेश करते हैं, तो गर्मी तेजी से बढ़ने लग जाती है. इस दिन सत्तू का दान और सेवन की परम्परा है।आचार्य प्रशान्त जी ने बताया कि कात्यायनी देवी आदि शक्ति मां दुर्गा का छठा रूप है। नवरात्रि के छठवें दिन देवी के कात्यायनी की उपासना की जाती है। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं,इनका स्वरूप अत्यंत ही भव्य और दिव्य है। इनका रंग स्वर्ण के समान चमकीला और भास्वर है । शेर पर सवार मां की चार भुजाएं हैं, इनके बायें हाथ में कमल और तलवार व दाहिनें हाथों में स्वास्तिक व आशीर्वाद की मुद्रा अंकित है। भगवान कृष्ण को पाने के लिए व्रज की गोपियों ने इन्ही की पूजा कालिंदी नदी के तट पर की थी। ये ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह का सम्बन्ध इनसे माना जाता है।देवी भागवत पुराण के अनुसार देवी के इस अवतार की पूजा करने से भक्त के व्यक्तित्व में निखार आता है। इनकी आराधना से गृहस्थ जीवन सुखमय रहता है। मां कात्यायिनी की भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्य को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय आदि सर्वथा नष्ट हो जाते हैं। विवाह योग्य कन्याएं जिनका विवाह नहीं हो पा रहा हो या जिनका वैवाहिक जीवन सुखी नहीं है वे जातक विशेष रूप से मां कात्यायिनी की उपासना करें, लाभ होगा। इस दिन मां को शहद का भोग लगाएं लाल वस्त्र अर्पित करें !
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