आचार्य प्रशांत मिश्र
होली के त्योहार में लोग सभी प्रकार के भेदभाव को भूलकर आनंद के सागर में डूब जाते हैं। आचार्य प्रशान्त मिश्र नें वैदिक पंचांग और ज्योतिष के विद्वानों के मतानुसार होलिका दहन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रात्रि 10 बजकर 27 मिनट के बाद शुभ मुहूर्त होगा। यानी इस दौरान होलिका करना शुभ रहेगा। होलिका दहन 24 मार्च को भद्रा के उपरांत रात्रि 10:27 के बाद होगा 25 मार्च को पूर्णिमा दोपहर 11:31 तक होने के कारण काशी के अतिरिक्त कहीं भी होली का मान नहीं होगा। उन्होंने बताया कि इस बार भी होलिका दहन पर भद्राकाल का साया है। होलिका दहन भद्राकाल के उपरांत करना उचित रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भद्राकाल को शुभ नहीं माना जाता है और इस दौरान किसी भी तरह का पूजा-पाठ व शुभ काम करना वर्जित होता है।
इस बार की होली मानेगी 26 मार्च को जाने वजह
पं० प्रशान्त मिश्र जी ने बताया कि इस बार होली 26 मार्च यानि मंगलवार को मनाए। उदया तिथि के कारण इस दिन ही होली मनाई जाएगी। चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को होली का उत्सव मनाया जाता है। 26 मार्च को सूर्योदय प्रतिपदा में है दोपहर 01:27 तक रहेगा जिसमें होली मानना चाहिए। श्री मिश्र नें बताया कि भविष्य पुराण के अनुसार ,”प्रवृते मधुमासे तु प्रतिपद्वुदाते रवो ” होली के लिए शास्त्र सम्मत चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में सूर्य का उदय एवम् 8 दण्ड का भोग होना चाहिए 26 को सूर्योदय प्रतिपदा में एवम् 18 दण्ड 47 पल का भोग प्रतिपदा का है, अतेव काशी के अतिरिक्त सभी जगह 26 मार्च को होली मनाई जाएगी । हिन्दू धर्म मे है होली का विशेष महत्व हिन्दू धर्म मे सभी त्योहार का अपना अलग ही विशेष महत्व होता है। वहीं अगर बात करे होली कि तो यह त्योहार हर वर्ग हर उम्र के लोग में एक अलग भी स्नेह और उत्साह देखने को मिलता है। युवाओं में इस त्योहार के अवसर पर रंगों के साथ खेलने को लेकर विशेष उत्साह देखने को मिलता है। इस दिन लोग एक दूसरे को रंग और अबीर-गुलाल लगाकर दोस्ती और भाईचारे का परिचय देते हैं।
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