सोनभद्र/रॉबर्ट्सगंज(अरविंद दुबे,गिरीश तिवारी)
सोनभद्र के परही गांव में जमीन पर कब्जे की साजिश ने पूरे राजस्व महकमे की सच्चाई सामने ला दी है। यहां एक शातिर ने खुद को मृतक का फर्जी बेटा बताकर 42 बीघा जमीन की वरासत अपने नाम करवा ली, और अफसरों ने आंख मूंदे रखी। मामला सामने आते ही न्यायालय के आदेश पर सात लोगों समेत कई सरकारी कर्मचारियों पर धोखाधड़ी, कूटरचना और आपराधिक साजिश में मुकदमा दर्ज किया गया है।परही गांव निवासी सोहन की शिकायत पर यह घोटाला उजागर हुआ। उन्होंने बताया कि उनके नाना वंशी यादव की केवल दो बेटियां थीं — गांगी देवी (मां) और रामपति (मौसी)। लेकिन वंशी के भाई रामनंदन के बेटों राधेश्याम और रामसूरत ने खुद को वंशी यादव का बेटा बताकर सरकारी अभिलेखों में नाम दर्ज करवा लिया और जमीन की वरासत अपने नाम करवा ली।
जब धोखाधड़ी का पता चला, तो सोहन की मां और मौसी ने रॉबर्ट्सगंज एसडीएम को पत्र सौंपकर कुटुंब रजिस्टर में संशोधन की मांग की। एसडीएम ने आदेश जारी किया, लेकिन बीडीओ करमा ने आदेश को ठंडे बस्ते में डाल दिया। इसके बाद जिलाधिकारी के हस्तक्षेप पर जांच टीम बनी, जिसमें साफ हुआ कि वंशी यादव के कोई बेटे नहीं थे, सिर्फ दो बेटियां थीं।
इसके बावजूद, जांच टीम ने रिपोर्ट को दबा दिया। दूसरी जांच टीम के अधिकारी एडीओ आईएसबी अनंत सिंह और सचिव अश्विनी श्रीवास्तव ने पहले की रिपोर्ट को नजरअंदाज कर जांच की दिशा बदल दी। इस तरह के गंभीर पितृत्व विवाद को मामूली ग्रामसभा प्रस्ताव के रूप में निपटाकर रिपोर्ट बंद कर दी गई।इतना ही नहीं, अजय यादव ने फर्जी प्रमाणपत्र बनवाकर यह दिखाया कि वंशी यादव के दो बेटे और दो बेटियां थीं। इससे मामला और भी उलझ गया। आखिरकार कोर्ट के हस्तक्षेप से पुलिस हरकत में आई और राधेश्याम, रामसूरत, सुभाष (रामसूरत का दामाद), लवकुश, श्रीनिवास, प्रदीप, अजय, जितेंद्र पाल सहित कई राजस्व और ब्लॉक कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज किया गया।
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