खनिज विभाग का बड़ा कारनामा, सरकार को हर वर्ष करोड़ों के राजस्व की हो रहीं क्षति, देखे रिपोर्ट

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सोनभद्र (AKD,गिरीश तिवारी)-सुबे की सरकार जीरो टॉलरेंस नीति के बावजूद अफसरों ने खनिज के अवैध परिवहन को खूब बढ़ावा दिया। सूत्रों की माने तो यूपी के छह जिलों में 613 स्टोन क्रशर प्लांटों को बिना भंडारण लाइसेंस के ही संचालित कराया गया। आपको बता दे की ज्यादा 284 क्रशर प्लांट सोनभद्र के थे। सबसे बड़ी बात यह है कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में अवैध परिवहन के लिए बिना भंडारण संचालित क्रशर प्लांट संचालकों की भूमिका संदिग्ध मानी है। अफसरों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं? क्रशर प्लांटों को भंडारण लाइसेंस जारी न करने से सरकार के राजस्व को 61 लाख से ज्यादा की चपत लगी है। अगर उप्र खनिज (अवैध खनन, परिवहन और भंडारण) नियम के तहत स्टोन क्रशर उद्योगों और अन्य खनिज आधारित उद्योगों को भंडारण का पर अगर गौर करें और सीएजी की रिपोर्ट में क्रशर प्लांट संचालकों और अफसरों की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे है। अधिकारियों ने इन इकाइयों को भंडारण लाइसेंस देने के लिए कोई कदम नहीं उठाए।

इसमें लाइसेंस दिए जाने का प्रावधान 

सोनभद्र। इसके तहत आवेदक को 10 तर हजार रुपये का गैर वापसी योग्य न्दा शुल्क भंडारण लाइसेंस के लिए जमा करना होगा। सूत्रों की माने तो यूपी में सीएजी ने 16  जिला खनन अधिकारियों के रिकॉर्ड की जांच की। इनमें से छह जिलों में पाया गया कि स्टोन क्रशर इकाइयों को भंडारण का लाइसेंस ही नहीं दिया गया। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से उपलब्ध कराई गई सूची में अप्रैल 2017 से फरवरी 2023 की अवधि के दौरान इन जिलों में 1035 स्टोन क्रशर इकाइयां संचालित थीं। इनमें से 708 क्रशर इकाइयों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से संचालन की अनुमति दी गई थी। नियमानुसान इन्हें भंडारण का लाइसेंस भी दिया जाना चाहिए था, मगर 613 स्टोन क्रशर इकाइयां बिना भंडारण लाइसेंस के ही संचालित होती रहीं।

करोड़ों के राजस्व का हुआ नुकसान

सोनभद्र। जिले में नियमों के – उल्लंघन के बावजूद संबंधित खनन अधिकारियों ने इन इकाइयों ई को न तो भंडारण लाइसेंस देने की ने कोई कार्रवाई की और न ही कोई अन्य कदम उठाए। भंडारण लाइसेंस के बिना । संचालित 613 स्टोन क्रेशर कने इकाइयों के कारण सरकार को न 61.30 लाख की लाइसेंस फीस का नुकसान हुआ। साथ ही काखनिजों के अवैध परिवहन को भी, बढ़ावा मिला। बाद में सीएजी की इस आपत्ति को सरकार ने भी स्वीकार किया और सभी स्टोन क्रेशर इकाइयों को जल्द लाइसेंस देने की बात कही थी।

दूसरे जिलों के भंडारण लाइसेंस पर ईकायों ने किया संचालन

सोनभद्र। कई क्रशर प्लांटों का संचालन दूसरे जिलों के लिए जारी भंडारण लाइसेंस पर होते हुए भी पकड़ा गया है। बुंदेलखंड और पश्चिम यूपी के क्रशर प्लांटों को जारी भंडारण लाइसेंस पर यहां भी प्लांट चल रहे थे। जांच में पोल खुली तो अफसरों ने कार्रवाई की कोरमपूर्ति कर दी।

जाने क्यों क्रशर प्लांटों के लिए जरूरी है भंडारण लाइसेंस

सोनभद्र। जिले के बिल्ली मारकुंडी व डाला खनन क्षेत्र में गिट्टी का खनन होता है। इसी इलाके में करीब साढ़े तीन सौ से अधिक क्रशर प्लांट संचालित हैं। खनन के दौरान निकलने वाले बोल्डर को इन प्लांटों के अंदर ही गिट्टी में बदला जाता है। ऐसे में अमूमन सभी प्लांट में हर वक्त अलग-अलग साइज वाली गिट्टी का ढेर लगा रहता है। इसी गिट्टी को वह वाहनों में भरकर अन्यत्र भेजते हैं। इन प्लांटों को बोल्डर तोड़ने की अनुमति तो है, लेकिन इस तरह से भंडारण करना अवैध है। यही कारण भी रहा कि करीब दो साल पहले खनन क्षेत्र के निरीक्षण में आईं तत्कालीन खनन निदेशक रोशन जैकब ने क्रशर प्लांटों के बाहर सड़क किनारे भारी मात्रा में भंडारित गिट्टी जब्त कराई थी। पर्याप्त मौका देने के बाद भी किसी ने इस पर दावा नहीं किया। बाद में उसे नीलाम करना पड़ा।

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