कम मानदेय में दम नहीं, बीस हज़ार से कम नहीं आशा कार्यकत्रियों का फूटा ग़ुस्सा, कहा अब चुप नहीं रहेंगे हम

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सोनभद्र(AKD/गिरीश तिवारी)

सोनभद्र जनपद में स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ कही जाने वाली आशा और आशा संगिनी कार्यकत्रियों का आक्रोश आज फूट पड़ा। चोपन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सैकड़ों की संख्या में जुटीं इन महिलाओं ने दो हज़ार में दम नहीं, बीस हज़ार से कम नहीं के गूंजते नारों के साथ जमकर प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि वे दिन-रात जनता की सेवा में लगी रहती हैं प्रसव पूर्व जांच हो या टीकाकरण, जननी सुरक्षा अभियान हो या आयुष्मान भारत कार्ड बनवाना, हर मोर्चे पर वे गांव-गांव जाकर काम करती हैं। लेकिन बदले में उन्हें मिलता है न के बराबर मेहनताना, वह भी महीनों की देरी से।महिलाओं ने बताया कि जुलाई, अगस्त और सितंबर 2025 का भुगतान अभी तक नहीं मिला है। बार-बार कलेक्ट्रेट और सीएमओ कार्यालय में प्रदर्शन करने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई। निराश और आक्रोशित आशा बहनों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे वृहद आंदोलन और कार्य बहिष्कार के लिए बाध्य होंगी।प्रदर्शन में शामिल मीरा देवी ने कहा हम लोगों को राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। हमारा भुगतान कभी-कभी टुकड़ों में होता है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक को नियमित वेतन मिलता है, पर हम लोग जो दिन-रात काम करते हैं, उन्हें सम्मानजनक मेहनताना भी नहीं मिलता। हम परिवार को समय नहीं दे पाते, बच्चों की पढ़ाई मुश्किल से चल रही है।वहीं मुन्नी माथुर ने कहा हमारी बस यही मांग है कि हमें राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाए और तीन महीने का बकाया भुगतान तत्काल किया जाए। हम लोग सेवा करते हैं, भीख नहीं मांग रहे।सुनीता यादव ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा जो मानदेय हमें मिलता है, उससे घर नहीं चलता। एक मनरेगा मजदूर से भी कम मेहनताना है हमारा, जबकि काम 24 घंटे का है। पहले डीएम और सीएमओ को ज्ञापन दे चुके हैं, पर कोई सुनवाई नहीं हुई। अब अगर मांगे नहीं मानी गईं तो कार्य बहिष्कार और आंदोलन दोनों करेंगे।

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